अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) द्वारा अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका पर जवाब देते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundring) के मामले में दिल्‍ली के सीएम की गिरफ्तारी वैध है और सबूतों के आधार पर अपराध करने वाले किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता है, चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो। ईडी ने कहा कि सीएम को अरेस्‍ट करने से स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव की अवधारणा का उल्लंघन नहीं हुआ है।

देश में 19 अप्रैल से लोकसभा चुनाव की शुरुआत हो चुकी है। आम आदमी दिल्‍ली और पंजाब सहित कई अन्‍य राज्‍यों में चुनाव लड़ रही है। वो विपक्ष के इंडिया गठबंधन का हिस्‍स है। दिल्‍ली शराब नीति (Delhi Liquor Scam) में कथित घोटाले को लेकर मनी ट्रेल के मामले में ईडी ने चुनाव से ठीक एक महीना पहले यानी 21 मार्च को अरविंद केजरीवाल को अरेस्‍ट किया था। इस गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए सीएम ने पहले दिल्‍ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। अब इस मामले में सीएम द्वारा सुप्रीम कोर्ट का रुख किया गया है।

सबूतों के आधार पर गिरफ्तारी…
सीएम की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय ने सुप्रीम कोर्ट में अपने हलफनामे में कहा, ‘सबूतों के आधार पर अपराध करने के लिए किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी कभी भी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की अवधारणा का उल्लंघन नहीं कर सकती है। चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो। यदि उपरोक्त तर्क को स्वीकार कर लिया जाता है, तो अपराधी राजनेताओं को गिरफ्तारी से छूट मिल जाएगी।”

700 पन्‍नों का ईडी का हलफनामा…
ईडी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल नौ बार तलब किए जाने के बावजूद जांच अधिकारी के सामने उपस्थित नहीं होकर पूछताछ से बचते रहे। एजेंसी ने 700 से अधिक पन्नों के अपने जवाब में यह भी बताया कि घोटाले की अवधि के दौरान और घोटाले के समय 36 व्यक्तियों (आरोपी और अन्य शामिल व्यक्तियों) द्वारा कुल 170 से अधिक मोबाइल फोन बदले व नष्ट किए गए थे।

Source link

Picture Source :